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क्‍या परमेश्‍वर ने आपकी ख़ातिर अपने प्राण दिए?


प्रश्‍न. यह एक असामान्‍य सवाल है. परमेश्‍वर को मेरी ख़ातिर अपने प्राण देने की ज़रूरत क्‍यों आ पड़ी है?

उत्‍तर. इसकी वजह है कि बाइबिल में हमसे कहा गया है कि मानव-जाति की पाप की भागीदारी के कारण–सारे लोगों को मृत्‍यु-दण्‍ड यानी;–शाश्‍वत रूप से मिटाने का दूसरा मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाता है :

उत्‍पत्ति 2:16,17 तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को यह आज्ञा दी कि तू वाटिका के सब वृक्षों के फल बिना खटके खा सकता है; पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है उसका फल तू कभी नहीं खा सकता: क्‍योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्‍य मर जाएगा.

रोमियों 6:23 क्‍योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्‍यु है…

2 थिस्‍सलुनीकियों 1:8,9 जब प्रभु यीशु धधकती आग में प्रकट होगा और परमेश्‍वर को नहीं पहचानेंगे और हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर नहीं चलेंगे उन्‍हें दण्‍ड दिया जाएगा. उन्‍हें प्रभु और उसकी महिमापूर्ण शक्ति के सामने से हटाकर अनंत विनाश का दण्‍ड दिया जाएगा.

प्रकाशित वाक्‍य 20:14 और मृत्‍यु एवं अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्‍यु है.

अगर परमेश्‍वर ने अपनी मुक्ति की योजना के मुताबिक, मानव जाति के पाप स्‍वयं पर लेकर और उनकी ख़ातिर प्राण देकर उनमें में कुछ लोगों का(सब का नहीं)उद्धार करना तय न किया होता तो सब लोग अपने पापों के कारण मर गए होते. इसलिए उसने उनका स्‍थान ले लिया है. यह ताज्‍जुब की बात है कि बाइबिल के सुसमाचार में घोषणा की गई है कि परमेश्‍वर ने, कुछ विद्रोही पापियों के पाप स्‍वयं पर लिए और (जगत के निर्माण से पहले से ही) उनमें से हर एक के शाश्‍वत रूप से मिट जाने के समान दण्‍ड भुगता:

यशायाह 53:8…उसे जीवितों के बीच में उठा लिया गया: मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी

प्रकाशित वाक्‍य 13:8 और पृथ्‍वी के वे सब रहनेवाले, जिनके नाम उस मेमने की जीवन की पुस्‍तक में लिखे गए हैं, जो जगत की उत्‍पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे.

परमेश्‍वर (यीशु मसीह के रूप में व्‍यक्ति) को, मुक्ति दिलाने के इरादे से उसके द्वारा चुने गए कुछ पसंदीदा लोगों के पाप की ख़ातिर बेहद शर्मिंदगी उठानी पड़ी और अंत में दण्‍ड देना पड़ा. यीशु के बदली कार्य के कारण इन चुनिंदा लोगों को कभी भी शाश्‍वत रूप से नहीं मिटाया जाएगा. यीशु की प्रायश्चितपूर्वक मृत्‍यु से, परमेश्‍वर के कानून की माँगे, संपूर्ण रूप से पूरी की गईं:

यशायाह 53:11 वह अपनी आत्‍मा में बहुत सी पीड़ाएँ झेलेगा, किंतु वह घटनेवाली अच्‍छी बातों का ज्ञान प्राप्‍त कर संतुष्‍ट होगा. अपने ज्ञान से मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठाएगा.

पाप के ऋणों से पूरी तरह से मुक्‍त होते ही, कभी ऐसी नौबत नहीं आएगी जहां लोगों को, अपने पापों के लिए परमेश्‍वर के कानून का जवाब देना पड़े. वे, कानून के दण्‍ड से मुक्‍त होंगे :

रोमियों 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं है; क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरना आत्‍मा के अनुसार चलते हैं.

प्रश्‍न. जी हाँ. कुछ लोगों की ख़ातिर परमेश्‍वर के " प्राण देने " की बात को लेकर चिंतन करना मुझे बड़ा अजीबो-गरीब लगता है; लेकिन इससे पहले मुझे यह क़बूल करना होगा कि मैं यह तक नहीं जानता कि उसका अस्तित्‍व है कि नहीं. कोई यह कैसे जान ले कि परमेश्‍वर मौजूद है ?

उत्‍तर. कुछ लोगों का यह दावा है कि कोई परमेश्‍वर नहीं है; अथवा यह कि वह निश्चित रूप से जानते नहीं कि वह है भी या नहीं. लेकिन परमेश्‍वर की मौजूदगी का, इनसान की राय से कोई लेना-देना नहीं है. बाइबिल में एक अखंडनीय तथ्‍य के रूप में घोषणा की गई है कि ईश्‍वर, एक परम सत्‍य है:

उत्‍पत्ति 1:1 आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्‍वी की सृष्टि की.

हमारे इर्द-गिर्द की दुनिया, हमें इस बात की गवाही देती है कि कोई सृष्टिकर्ता था(और है) जिसने समस्‍त तत्‍वों की रचना की और उसे बनाए रखा. यह प्रकृति हम में से हर एक को पुकार-पुकार कर कह रही है कि इन सब के पीछे अवश्‍य ही कोई अद्भुत कलाकार है:

भजन संहिता 19:1-3 आकाश, ईश्‍वर की महिमा का वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्‍डल उसकी हस्‍तकला को प्रकट कर रहा है. दिन से दिन बातें करता है और रात को रात ज्ञान सिखाती है. न तो कोई बोली है और न कोई भाषा, जहां उनका शब्‍द सुनाई न दे.

आपने गौर किया होगा, हर एक इनसान की अंतरात्‍मा की यह आवाज है कि परमेश्‍वर का अस्तित्‍व है; और वह यह भी जानता है कि इस परमेश्‍वर की मौजूदगी को लेकर उसके मन में शंका भी है:

रोमियों 1:19,20 इसलिए कि परमेश्‍वर के विषय में ज्ञान उनके मन में प्रकट हुआ है, क्‍योंकि परमेश्‍वर ने उन पर प्रकट किया है. क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्‍वरतत्‍व, जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों से देखने में आते हैं, यहां तक कि वे निरुत्‍तर हैं.

प्रश्‍न. मुझे आपकी बातों से सहमत होना पड़ेगा क्‍योंकि मैंने ख़ूबसूरत फूल और विस्‍मयकारी जीव देखें हैं, मैं भी कभी कभार सोचा करता था कि परमेश्‍वर ने ही इन सब की रचना की होगी. लेकिन अक्‍सर मेरे सामने एक बेबूझ सवाल उठता है कि आखिरकार " वह ईश्‍वर है कौन? " कई धर्म दावा करते हैं कि उनका परमेश्‍वर ही सत्‍य है. अगर ऐसी बात है तो, कौन सा परमेश्‍वर ठीक बैठता है?

उत्‍तर. आपने बेहतरीन सवाल किया है. यह दुनिया, धर्मों से और ख़ासकर उनके परमेश्‍वर से भरी पड़ी है और परमेश्‍वर के स्‍वरूप के बारे में उनके विचारों में मतभेद है. लेकिन बाइबिल में बताया गया है कि हम, एकमात्र सत्‍य,परमेश्‍वर को निश्चित रूप से जान सकते हैं:

यशायाह 45:5,6 मैं यहोवा हूँ और दूसरा कोई नहीं, मुझे छोड़ कोई परमेश्‍वर नही है; यद्यपि तू मुझे नहीं जानता, तौ भी मैं तेरी कमर कसूँगा जिससे उदयाचल से लेकर अस्‍ताचल तक लोग जान लें कि मुझ बिना कोई है ही नही है.

यशायाह 45:20-22 इकट्ठे हो कर आओ, एक संग मिलकर निकट आओ ! वह जो अपनी लकड़ी की खोदी हुई मूरतें लिए हैं और ऐसे देवता से, जिससे उद्धार नहीं हो सकता, प्रार्थना करते हैं, वे अज्ञानी हैं... इसलिए मुझे छोड़ कोई और दूसरा परमेश्‍वर नही है, हे पृथ्‍वी के दूर-देर के देश के रहनेवालों, तुम मेरी शरण में आओ और अपना उद्धार करो ! क्‍योंकि मैं ही ईश्‍वर हूँ और दूसरा कोई नही है.

बाइबिल में यह घोषणा की गई है कि यीशु मसीह, एकमात्र उद्धारक है:

प्रेरितों के काम 4:10,12 …यीशु मसीह नासरी के नाम से…और कोई दूसरा तुम्‍हारा उद्धार नहीं कर सकता; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्‍यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है जिससे हमारा उद्धार हो सके.

प्रश्‍न. क्‍या आपका मतलब है कि यीशु ही परमेश्‍वर है?

उत्‍तर. हाँ! बाइबिल में स्‍पष्‍ट रूप से समझाया गया है कि यीशु ही बाइबिल का परमेश्‍वर है जो इनसान के रूप में नज़र आया है:

युहन्‍ना 1:1,14 आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था और वचन परमेश्‍वर था… और वही वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच निवास करने लगा,…

प्रश्‍न. क्‍या यीशु को " ईश्‍वर का सपूत " नहीं कहा जाता है? अगर वह एक पुत्र है तो उसके पिता अवश्‍य होंगे. इस लिहाज से कितने परमेश्‍वर हुए?

उत्‍तर. हाँ, यह सही है कि यीशु को ' ईश्‍वर का सपूत ' कहा जाता है. लेकिन बाइबिल में निर्विवाद रूप से घोषणा की गई है कि यीशु, अनादि-अनंत परमेश्‍वर है. बाइबिल में यह भी उपदेश दिया गया है कि परम पिता, अनादि-अनंत परमेश्‍वर है. सत्‍य यह है कि मांस-मज्‍जों से बने इनसान के लिए परमेश्‍वर की, इनसान के रूप में कल्‍पना तक करना भी बड़ा मुश्किल है(क्‍योंकि हमारी बुद्धि एकदम सीमित है):

इब्रानियों 1:8 परंतु पुत्र से कहता है कि हे परमेश्‍वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा :

यद्यपि परमेश्‍वर ने अपने आप तीन व्‍यक्तियों के रूप में प्रकट किया है, फिर भी वह आग्रह करता है कि वही एकमात्र परमेश्‍वर है:

1 यूहन्‍ना 5:7 आकाश में इन तीनों की गवाही दर्ज हुई है, पिता, वचन और पवित्र आत्‍मा: और ये तीनों एक ही तत्‍व हैं.

व्‍यवस्‍था विवरण 6:4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्‍वर है, यहोवा एक ही है.

प्रश्‍न. लगता है कि आप, अपनी बातों का समर्थन करने के लिए बाइबिल का हवाला देते हैं और उसके उद्धरण बताते हैं. लेकिन मैंने सुना है कि बा‍इबिल एक पुरानी किताब है जिसे कुछ व्‍यक्तियों ने लिखी है ?

उत्‍तर. यह सही है कि बाइबिल एक पुराना धर्मग्रंथ है लेकिन इसकी रचना, निश्चित रूप से इनसानों ने नहीं की है. बल्कि परमेश्‍वर ने, अपने मुँह से निकली वाणी को लिपिबद्ध करने के लिए भविष्‍यद्वक्‍ताओं से कहा. इस तरह से, परमेश्‍वर ने, अपने वचन, मानव-जाति तक पहुंचाने के‍ लिए इन लोगों का लिपिकों के रूप में उपयोग किया:

2 पतरस 1:20,21 पर पहले यह जान लो कि पवित्र शास्‍त्र की कोई भी भविष्‍यद्वाणी किसी की अपनी ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती. क्‍योंकि कोई भी भविष्‍यद्वाणी मनुष्‍य की इच्‍छा से कभी नहीं हुई पर भक्‍त जन पवित्र आत्‍मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्‍वर की ओर से बोलते थे.

2 तिमुथियुस 3:16 हर एक पवित्र शास्‍त्र, परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक है.

इस प्रकार से, समग्र बाइबिल, परमेश्‍वर की वाणी है. परमेश्‍वर का एक-एक वचन निर्दोष एवं पवित्र है और पूरी तरह से भरोसा करने लायक है. जो भी घोषणाएँ की गई हैं उन सब के लिए बाइबिल, एक मौलिक एवं अंतिम प्रमाण है.

प्रश्‍न. सच कहूँ तो, मुझे वाकई समझ में नहीं आ रहा है – चूँकि मैं उतना बुरा इनसान नहीं हूँ – इसलिए क्‍या परमेश्‍वर के लिए मेरी ख़ातिर अपने प्राण देना ज़रूरी है?

उत्‍तर. यह एक कड़वी सच्‍चाई है कि सारे लोग, पाप के भागीदार बन चुके हैं और परमेश्‍वर का कानून तोड़ रहे हैं. परमेश्‍वर की कानूनी किताब, बाइबिल के अनुसार, सारे लोग, एकदम ख़राब और निर्दय हो चुके हैं:

रोमियों 3:12 सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्‍मे बन गए हैं, कोई भलाई करनेवाला नहीं है, एक भी नहीं.

यिर्मयाह 17:9 मन तो सब वस्‍तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उसमें आसाध्‍य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है ?

परमेश्‍वर, परिपूर्ण, धार्मिक एवं पवित्र है – वह चाहता है कि उसके धर्मादेश का यथावत् पालन किया जाए. अगर इनमें से एक की अवहेलना हुई तो भी हमें उसका भयंकर क्रोध भोगना पड़ेगा:

याकूब 2:10 क्‍योंकि जो कोई सारी व्‍यवस्‍था का पालन करता है परंतु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बातों में दोषी ठहरा.

अगर हम अपने आपसे ईमानदार हों तो हमें यह अवश्‍य क़बूलना होगा कि हमने (हर दूसरे व्‍यक्ति के साथ) पाप किया है:

1 यूहन्‍ना 1:8 अगर हम कहें कि हमने कोई पाप नहीं किया है तो हम अपने आपको धोखा दे रहे हैं; और हम में सत्‍य नहीं है.

रोमियां 3:23 क्‍योंकि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित है.

यहेजकेल 18:4…जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा.

जैसे कि हमने इससे पहले देखा है कि बाइबिल का सिद्धांत है कि पाप के लिए दण्‍ड है मृत्‍यु; और परमेश्‍वर जिस मृत्‍यु का जिक्र कर रह है वह है, दूसरी मृत्‍यु जिसमें आग की झील में डालने के बाद इनसान सदा के लिए मिट जाएगा.

प्रश्‍न. क्‍या आपको वाकई लगता है कि परमेश्‍वर, आग की झील में लोगों को मिटा देगा?

उत्‍तर. हाँ. परमेश्‍वर के लिए पाप करना, एक अप्रिय कृत्‍य है. परम पवित्र परमेश्‍वर की नज़रों में पाप, इतना घृणित कार्य है कि परमेश्‍वर, उसका कानून तोड़नेवालों को सदा के लिए मिटा देगा:

प्रकाशित वाक्‍य 20:15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखा हुआ न मिला, उसे आग की झील में डाला गया.

मलाकी 4:1 क्‍योंकि देखो, वह दिन आएगा जो धधकते हुए भट्ठे जैसा होगा, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूँटी बन जाएंगे; और उस आनेवाले दिन में वे ऐसे भस्‍म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है.

प्रश्‍न. क्‍या आप कहना चाहते हैं कि नरक के सज़ायाफ्त़ा व्‍यक्ति को मिटा दिया जाएगा और वह सदा लिए अस्तित्‍वहीन हो जाएगा ?

उत्‍तर. विकट सत्‍य है, लेकिन कहना पडे़गा कि हाँ, ऐसा ही होगा. बाइबिल में कहा गया है कि ईश्‍वरीय दण्‍ड की प्रक्रिया में इस जगत के साथ उसकी मानव-जाति को मिटाया जाएगा. सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के क्रोध के कारण इनसान को पूरी तरह से मिटा दिया जाएगा :

भजन संहिता 37:20 लेकिन दुष्‍ट लोगों का विनाश हो जाएगा; और यहोवा के शत्रुओं का खेत की सुथरी घास की तरह विनाश होगा, वे धुएँ की तरह विलीन हो जाएंगे.

2 पतरस 3:10 लेकिन प्रभु का दिन चुप के से चोर की तरह आएगा. उस दिन भयंकर गड़गड़ाहट के साथ आकाश विलीन हो जाएगा और उसके सारे तत्‍व तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, साथ ही पृथ्‍वी और उसकी सारी व्‍यवस्‍था, जलकर भस्‍म हो जाएगी.

प्रश्‍न. परमेश्‍वर के बारे में आपकी बातें ख़ौफ़नाक लगती हैं. मैंने तो सोचा था कि ईसाई, हर एक से प्रेम करनेवाले कृपालु और कोमल हृदयवान परमेश्‍वर पर विश्‍वास रखते हैं. क्‍या परमेश्‍वर, जैसा कि आपने वर्णन किया है, इतना भयानक है?

उत्‍तर. परमेश्‍वर, प्रेममय और दयालु है; लेकिन वह पवित्र और धार्मिक भी है और अपनी छवि में बनाए गए लोगों को उसका कानून तोड़ने पर दण्‍ड भी देता है. बाइबिल के असली विश्‍वासी, दूसरों को चेतावनी देना पसंद करते हैं क्‍योंकि परमेश्‍वर से वाकई डरना पड़ेगा :

2 कुरिन्थियों 5:11 सो प्रभु से डरते हुए हम सत्‍य को ग्रहण करने के लिए लोगों को समझाते-बुझाते हैं;…

नहूम 1:2 यहोवा जल उठनेवाला और बदला लेनेवाला ईश्‍वर है; यहोवा बदला लेनेवाला और जलजलाहट करनेवाला है; यहोवा अपने द्रोहियों से बदला लेता है, और अपने शत्रुओं का पाप नहीं भुलाता है.

इब्रानियों 12:29 क्‍योंकि हमारा परमेश्‍वर भस्‍म करनेवाली आग है .

यिर्मयाह 5:22 यह वाणी यहोवा की है, क्‍या तुम लोग मुझसे डरते नहीं हो? क्‍या तुम मेरे सामने थरथराते नहीं हो…

आजकल बहुत सारे गिरिजाघरों में सब लोगों के साथ ख़ुश दिखाई देनेवाले मुस्‍कुराते, विनीत यीशु का दृश्‍य नजर आता है. लेकिन यह धारणा सच्‍चाई के परे है. यीशु मसीह, मानव जाति के पाप के कारण क्रुद्ध है और वही, दुष्‍टों को दोषी ठहराकर शाश्‍वत रूप से मिटा देने का अंतिम ईश्‍वरीय दंडाज्ञा देगा :

भजन संहिता 7:11…परमेश्‍वर, हर दिन दुराचारियों पर अपना क्रोध प्रकट करता है

मत्‍ती 10:28 जो शरीर का घात करते हैं, पर आत्‍मा का घात नहीं कर सकते हैं उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्‍मा और शरीर, दोनों को नरक में नाश कर सकता है.

प्रश्‍न. भली-भाँति आभास तो हो रहा है मुझे हर हाल में नरक के दण्‍ड से बचना चाहिए. लेकिन शाश्‍वत रूप से नष्‍ट होने से बचने के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए?

उत्‍तर. पहले आपको यह समझना होगा कि मानव जाति की हालत अच्‍छी नहीं है. हम अपने पापों के कारण, पश्‍चाताप और विश्‍वास करने के सुसमाचार की पुकार का पूरी तरह से प्रतिस्‍पंदन करने की स्थिति में नहीं हैं. हम, आध्‍यात्मिक दृष्टि से मर चुके हैं और इसलिए कोई ऐसा काम करने लायक नहीं रह गया है जिससे हमें मुक्ति मिल सके :

इफिसियों 2:1 और उसने तुम्‍हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे.

गलतियों 2:16 …इसलिए कि व्‍यवस्‍था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा.

वास्‍तव में, बाइबिल में यह इशारा किया गया है कि इनसान के लिए, अपने ही किए कर्मों के कारण मुक्ति पाना हर हाल में मुमकिन नहीं है :

मत्‍ती 19:25,26 यह सुनकर, चेलों ने बहुत चकित हो कर कहा, फिर किस का उद्धार हो सकता है? यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, मनुष्‍यों से तो यह नहीं हो सकता, परंतु परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है.

प्रश्‍न. आपके कहने का मतलब है कि मैने जो कुछ भी कहा उसके बावजूद मेरा मिटना निश्चित है. क्‍या कोई उम्‍मीद नहीं है?

उत्‍तर. हाँ. उम्‍मीद है ज़रूर. लेकिन वह परमेश्‍वर पर निर्भर है. आपका उद्धार करने के लिए उसे ही सारे कार्य करने पड़ेंगे:

युहन्‍ना 3:16 क्‍योंकि परमेश्‍वर, जगत से इतना प्रेम करता है कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, नाश न हो परंतु अनंत जीवन पाए.

युहन्‍ना 1:12,13 परंतु उसने, जितनों ने उसे ग्रहण किया उन्‍हें, यहाँ तक कि उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्‍वास रखते थे,परमेश्‍वर की संतान होने का अधिकार दिया. वे न तो लहू से, न शरीर की इच्‍छा से, न ही मनुष्‍य की इच्‍छा से, बल्कि परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुए हैं.

प्रश्‍न. परमेश्‍वर द्वारा लोगों का उद्धार करने के बारे में आपकी बात मेरी समझ नहीं आ रही है. वे कौन हैं जिन पर वह दया करता है? और उसकी दया पाने के लिए मुझे क्‍या करना होगा?

उत्‍तर. परमेश्‍वर ने, अपनी पसंद के मुताबिक मुक्ति दिलाने की योजना बनाई. सिर्फ़ अपनी सुबुद्धि की इच्‍छा के आधार पर जहाँ-तहाँ से लोगों को चुना. इनसान के अच्‍छे कर्मों के कारण उसका उद्धार नहीं होता है बल्कि प्रभु यीशु मसीह के पूरे किए गए कार्य की ख़ातिर उसका उद्धार होता है:

इफिसियों 1:4,5 जैसा कि उसने हमें, जो मसीह में स्थित हैं, जगत की उत्‍पत्ति से पहले चुन लिया कि हम उसके निकट उसके प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों. और अपनी सुबुद्धि की इच्‍छा के अनुसार पहले से ही ठहराया कि हम, यीशु मसीह के दत्‍तक पुत्र होंगे.

युहन्‍ना 15:16 तुमने मुझे नहीं चुना है उल्‍टे मैंने तुम्‍हें चुना है और तुम्‍हें ठहराया है ,…

रोमियों 9:11,13 (और अभी तक न तो बालक जन्‍मे थे और न उन्‍होंने कुछ भला या बुरा किया था कि उसने कहा कि जेठा छुटके का दास होगा. इसलिए कि परमेश्‍वर की मंशा, जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं बल्कि बुलानेवाले पर बनी रहेगी;). जैसा लिखा है कि मैंने याकूब से प्रेम किया, परंतु एसौ को अप्रिय जाना.

प्रश्‍न. मैं यह कैसे जान लूँ कि परमेश्‍वर ने उद्धार करने के लिए मुझे चुना है?

उत्‍तर. हो सकता है कि आप, परमेश्‍वर के पसंदीदा(चुनिंदा)लोगों में से एक हो या न हो – सिर्फ़ परमेश्‍वर उन लोगों के बारे में जानता है जिनका वह उद्धार करना चाहे; इसलिए " चुनने " की बात, परमेश्‍वर की इच्‍छा शक्ति पर छोड़ देनी चाहिए. लेकिन हम उससे प्रार्थना अवश्‍य कर सकते हैं. परमेश्‍वर ने हमें इज़ाजत दी है कि हम, उसके सामने विनम्रता से याचना करें(हमारे पाप और उसके क्रोध का कारण बनने की हमारी स्थिति क़बूल करते हुए) कि वह हमें, माफ़ कर दे:

लूका 18:13 परंतु चुंगी लेनेवाले ने दूर खड़े हो कर, स्‍वर्ग की ओर आँख उठाना भी न चाहा, वरना अपनी छाती पीट-पीटकर कहा; हे परमेश्‍वर, मुझ पापी पर दया कर.

इब्रानियों 4:16 इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट निर्भय हो कर चलें कि हम पर दया आए और वह अनुग्रह पाए जो आवश्‍यकता के समय हमारी सहायता करे.

पापियों को शरीरधारी परमेश्‍वर से बढ़ावा मिलना चाहिए. वह, करुणानिधान परमेश्‍वर है. परमेश्‍वर ने हमें, दया की भीक माँगने का अधिकार दिया है. जिस प्रकार से विद्रोही को मृत्‍यु का दण्‍ड दिया जाता है उसी तरह से हम, स्‍वर्ग के महिमापूर्ण राजा के सामने, अपने पाप माफ़ करने की(सिर्फ़ यीशु की ख़ातिर) मिन्‍नत कर सकते हैं :

मीका 7:18 …उसका क्रोध हमेशा नहीं रहता है क्‍यों वह करुणा की मूरत है

मरकूस 10:47,48 वह यह सुनकर कि यीशु नासरी है, पुकार-पुकार कर कहने लगा कि हे, दाऊद की संतान, यीशु, मुझ पर दया कर. बहुतों ने उसे डांटा कि चुप रहे, पर वह और भी पुकारने लगा कि हे, दाऊद की संतान, मुझ पर दया कर.

यीशु ने अंधे भिखारी की दया की याचना सुनकर उसे शारीरिक आँखें दी. इससे हम जान सकते हैं कि यीशु, पापियों के प्रति अधिक दयालु और कृपालु है.

प्रश्‍न. क्‍या दया की भीख मांगने से मैं, विनाश से बच सकता हूँ ?

उत्‍तर. हमें सावधान रहना होगा. मुक्ति पाने का कोई सूत्र नहीं है. वह पूरी तरह से उसकी मर्जी पर निर्भर है:

रोमियों 9:15 क्‍योंकि वह मूसा से कहता है, मैं जिस किसी पर दया करना चाहूँ, उस पर दया करूँगा और जिस किसी पर कृपा करना चाहूँ उसी पर कृपा करूँगा.

प्रश्‍न. मैं परमेश्‍वर के पास जाकर दया की भीख माँगूँगा. परमेश्‍वर से मेरा जवाब मिलने के लिए कितना वक्‍त़ लगेगा ?

उत्‍तर. मेरे दोस्‍त. हम, परमेश्‍वर पर वक्‍त़ की पाबंदी नहीं ड़ाल सकते. परमेश्‍वर, वक्‍त़ आने पर और अपने ही तरीके से किसी व्‍यक्ति का उद्धार कर सकता है(अगर ऐसा करना उसकी सुबुद्धि की इच्‍छानुसार हो):

भजन संहिता 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूँ, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूँ, और मेरी आशा उसके वचन पर है.

विलापगीत 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रखकर चुपचाप रहना भला है.

भजन संहिता 123:2 देख, जैसे दासों की आँखें अपने स्‍वामियों के हाथ की ओर और जैसे दासियों की आँखें अपनी स्‍वामिनी के हाथ की ओर लगी रहती है, वैसे ही हमारी आँखें, हमारे परमेश्‍वर यहोवा की ओर उस समय तक लगी रहेंगी, जब तक वह हम पर अनुग्रह न करे.

परमेश्‍वर द्वारा मुक्ति का कार्य साधने तक, हमें इंतज़ार करना पड़ेगा. लेकिन आपका उद्धार करने के‍ लिए प्रभु का इंतज़ार करते समय यह बात ध्‍यान में रहे कि मुक्ति, एक आवश्‍यक मामला है. यह इसलिए कि हमें इस बात की ख़बर नहीं है कि हमारी मृत्‍यु कब होगी. हो सकता है कि हमारे चंद दिन ही रह गए हों. और, बाइबिल पढ़नेवाले कई असली विश्‍वासी यह जान रहे हैं कि प्रभु यीशु मसीह के लौट आने और इस जगत के विनाश में अब ज्‍यादा देर नहीं है.

प्रश्‍न. क्‍या आपको लगता है कि इस जगत का जल्‍द ही अंत होगा?

उत्‍तर. हाँ ! आप देखें‍गे कि प्रभु, 21 मई 2011 को लौटेगा और जगत का ही अंत, 21 अक्‍तूबर 2011 को होगा: *

1 थिस्‍सलुनीकियों 4:16-18 क्‍योंकि प्रभु आप ही स्‍वर्ग से उतरेगा ; उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्‍द सुनाई देगा और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी और जो मसीह में मरें हैं, वे पहले जी उठेंगे. तब हम, जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे कि हवा में प्रभु से मिलें और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे.

प्रकाशित वाक्‍य 10:5,6 और जिस स्‍वर्गदूत को मैंने समुद्र और पृथ्‍वी पर खड़े देखा था; और उसने अपना दाहिना हाथ स्‍वर्ग की ओर उठाया. और जो युगानुयुग जीवित रहेगा, … उसी की शपथ खाकर कहा, अब तो और देर न होगी.

प्रश्‍न. क्‍या इसका मतलब है कि वक्‍त़ बहुत ही कम है?

उत्‍तर. जी हाँ, आपने ठीक समझा कि इस जगत में जीवित रहने के लिए इनसान के पास ज्‍यादा समय नहीं बचा है. लेकिन यह भी समझ लें कि पापी का उद्धार करने के लिए परमेश्‍वर को क्षणभर भी नहीं लगता, यह बात, ख़ासकर इस दृष्‍टांत से ज़ाहिर है जहां यीशु ने हमारी ही आँखों के सामने क्रूस पर चोर को किस तरह से बचाया:

लूका 23:42,43 तब उसने कहा; हे यीशु, जब तू अपने राज्‍य में आए, तो मेरी सुधि लेना. उसने उससे कहा, मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्‍वर्गलोक में होगा.

प्रश्‍न. क्‍या मैं ईसाई गिराजाघर में जाकर धार्मिक अनुष्‍ठान करना शुरु कर दूँ और परमेश्‍वर से उद्धार पाने तक इंतज़ार करूँ?

उत्‍तर. बिल्‍कुल नहीं. परमेश्‍वर ने, दुनिया के गिरिजाघरों और धार्मिक संघों को तिलांजली दे दी है. आज हम ऐसी घोर-विपत्ति के बीच खड़े हैं जब परमेश्‍वर का दण्‍ड, सब प्रकार के वर्गों को– चाहे काथलिक हो या प्रोटेस्‍टैंट, भोगना होगा – दुनिया-भर के सभी गिरिजाघरों को, परमेश्‍वर के वचन का पालन न करने पर ईश्‍वरीय दण्‍ड झेलना होगा:

1 पतरस 4:17 क्‍योंकि वह समय आ पहुंचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्‍याय किया जाए.…

वास्‍तव में, परमेश्‍वर ने तमाम ईसायियों को गिरिजाघरों से बाहर आने का ईश्‍वरीय आदेश दिया है:

मत्‍ती 24:15,16 सो जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्‍तु को जिस की चर्चा, भविष्‍यद्वक्‍ता, दानिय्येल ने की थी, पवित्र स्‍थान में खड़ी हुई देखो(जो पढ़े, वह समझे). तब जो यहूदियों में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं.

आजकल, परमेश्‍वर, गिरिजाघरों के अंदर किसी का भी उद्धार नहीं करता है. इसलिए आज ईसाई, अगर कोई ऐसी जगह जाना पसंद न करे तो वह है गिरिजाघर. लेकिन वह, हमारे प्रार्थना दिवस, गिरिजाघरों के बाहर बहुत सारे लोगों का उद्धार कर रहा है:

प्रकाशित वाक्‍य 7:9,14 इसके बाद मैंने दृष्टि डाली और लो, मेरे सामने एक ऐसी विशाल भीड़ खड़ी है जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकेगा. इस भींड़ में हर जाति के, हर वंश के, हर कुल के और हर भाषा के लोग हैं …… ये वे लोग हैं जो कठोर यातनाएं झेलकर आए हैं और उन्‍होंने अपने वस्‍त्रों को लहू से धोकर साफ़ एवं उजला किया है.

प्रश्‍न. अगर मैं ईसाई गिरिजाघर न जाऊँ तो मुझे मुक्ति कैसे मिलेगी?

उत्‍तर. परमेश्‍वर, बाइबिल के ज़रिए अपनी मुक्ति की योजना बनाता है. इसलिए हमें, जितना शक्‍य हो उतना, बाइबिल पढ़ते रहना होगा; उसमें जो भी कहा गया है उसका यथाश्‍क्‍य आज्ञापालक बनने की कोशिश करनी होगी. क्‍योंकि परमेश्‍वर उसके वचन सुननेसयवाले व्‍यक्तियों का उद्धार करता है:

युहन्‍ना 6:63 आत्‍मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं है; जो बातें मैंने तुम से कही हैं वे आत्‍मा हैं और जीवन भी.

रोमियों 10:17 सो विश्‍वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है.

भजन संहिता 119:97 अहा! तेरी व्‍यवस्‍था पर मुझे कितन प्रेम है! दिन भर मेरा ध्‍यान उसी पर लगा रहता है.

बाइबिल पढ़ने से ही हम यह जान सकेंगे कि क्‍या परमेश्‍वर ने हमारे पापों की ख़ातिर वाकई अपने प्राण दिए हैं. दुआ करते हैं कि परमेश्‍वर, इस पुस्तिका में दिए गए शास्‍त्र का उपयोग करते हुए अपनी मुक्ति की योजना के मुताबिक आपको क्रूसित कर पूर्ण आशीर्वाद दे.

 

* मई 2011 में परमेश्‍वर के चुनिंदा लोगों की भाव-समाधि और अक्‍तूबर 2011 में इस जगत के अंतिम विनाश के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे बताए गए तरीकों में से एक के जरिए हमसे संपर्क करें :

इंटरनेट पर लाइव फेलोशिप के लिए हमसे हाथ मिलाएं - वेबसाइट देखें:

www.ebiblefellowship.com

हमारे वेबसाइट के " इंटरनेट ब्रॉडकास्‍ट " के जरिए सीधे सुनें या नि:शुल्‍क पॉलटॉक अनुदेशों का पालन करें. आप, ई-बाइबिल फेलोशिप से, करमुक्‍त 1-877-897-6222 (सिर्फ अमेरिका में)पर संपर्क कर सकते हैं. आप यहां कोई संदेश, सवाल अथवा टिप्‍पणी छोड़ सकते हैं :

www.ebiblefellowship.com/contactus .

अथवा हमें, इस पते पर लिख सकते हैं :

ईबाइबिल फेलोशिप, पी.ओ.बॉक्‍स 1393, शेरोन हिल, पीए 19079 अमेरिका

(EBible Fellowship, P.O. Box 1393, Sharon Hill, PA 19079 USA)

DGDFY-2008.10.23-Hi